1 | 1 | ईश्वर का स्वरूप (स॰सु॰सा॰एक-174) | 2 | 4 | 1962 | सोमवार | लखनऊ | रात्रिकालीन | श्रीमान् गंगाचरणलाल महोदय | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
2 | 2 | अनेक रूपों में एक ही ईश्वर (स॰सु॰सा॰एक-192) | 30 | 9 | 1963 | सोमवार | सिविल लाईन स्थित सत्संग भवन , इलाहाबाद | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
3 | 3 | जो चेतन-आत्मा से पहचान में आवे, वह ईश्वर है (स॰सु॰सा॰एक-228) | 11 | 4 | 1966 | सोमवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | 58वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
4 | 4 | व्यक्त तत्त्व माया है, परमात्मा नहीं (स॰सु॰सा॰एक-170) | 27 | 1 | 1962 | शनिवार | बिहारीगंज, सहरसा (मधेपुरा) | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
5 | 5 | ईश्वर-भक्ति में ईश्वर-स्वरूप का ज्ञान आवश्यक (स॰सु॰सा॰एक-209) | 12 | 4 | 1965 | सोमवार | संतमत-सत्संग मंदिर, कानून गोयान महल्ले, मुरादाबाद | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
6 | 6 | केवल मोटी उपासना में ही लगे नहीं रहो (स॰सु॰सा॰एक-165) | 7 | 2 | 1961 | मंगलवार | डेहरी-ऑन- सोन, रोहतास, बिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
7 | 7 | इन्द्रिय-ज्ञान से छूटते हुए अन्तर में चलना ईश्वर-भक्ति है (स॰सु॰सा॰एक-230) | 12 | 4 | 1966 | मंगलवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | 58वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
8 | 8 | ईश्वर-भक्ति से ही परम कल्याण (स॰सु॰सा॰एक-226) | 10 | 4 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | 58वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
9 | 9 | कर्म करते हुए ईश्वर-भजन करो (स॰सु॰सा॰एक-198) | 13 | 10 | 1963 | रविवार | गीता भवन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
10 | 10 | भक्ति-संस्कार मनुष्य-शरीर ही दिलाता है (स॰सु॰सा॰एक-216) | 19 | 12 | 1965 | रविवार | कटिहार | NA | स्व0 मोती दासजी, | श्राद्ध-क्रिया | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
11 | 11 | जो माँगो, ईश्वर से माँगो (स॰सु॰सा॰एक-190) | 2 | 4 | 1966 | शनिवार | मनोहर उच्च विद्यालय, सहरसा नगर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
12 | 12 | आध्यात्मिक जागृति (स॰सु॰सा॰एक-206) | NA | NA | 1955 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
13 | 13 | शब्द की महिमा (स॰सु॰सा॰एक-214) | 26 | 10 | 1965 | मंगलवार | विषहा कुटी (गोड्डा) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
14 | 14 | सत्संग क्या है (स॰सु॰सा॰एक-183) | 5 | 8 | 1962 | रविवार | सिक्ख गुरुद्वारा, सूजागंज (भागलपुर) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
15 | 15 | धर्म-सम्प्रदाय में संकीर्णता ठीक नहीं (स॰सु॰सा॰एक-225) | 10 | 4 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | NA | 58वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
16 | 16 | सत्संग और उसके फल (स॰सु॰सा॰एक-185) | 9 | 9 | 1962 | रविवार | सुलतानगंज, भागलपुर | अपराह्नकालीन | श्रीलक्ष्मीनारायण रामुका | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-01 |
17 | 1 | जहाँ रहो, सत्संग करो (स॰सु॰सा॰एक-41) | NA | NA | 1955 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
18 | 2 | पिण्ड और ब्रह्मण्ड में एक ही सारतत्त्व व्यापक है (स॰सु॰सा॰एक-45) | NA | NA | 1976 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
19 | 3 | शिव-दर्शन (स॰सु॰सा॰एक-44) | NA | NA | 1960 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
20 | 4 | ज्ञान और योग; दोनों का अभ्यास करना चाहिये (स॰सु॰सा॰एक-8) | NA | NA | 1966 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
21 | 5 | सन्तोक्ति-असम्मत सन्तमत नहीं है (स॰सु॰सा॰एक-40) | NA | NA | 1966 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
22 | 6 | मेरे गुरुजी ने कहा था (स॰सु॰सा॰एक-7) | NA | NA | 1966 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
23 | 7 | अपने गुरु की याद में | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
24 | 8 | सद्गुरु बाबा देवी साहब के सदुपदेशों का सारांश (स॰सु॰सा॰एक-9) | NA | NA | 1963 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
25 | 9 | संसार की सँभाल करते संसार के पार में देखो (स॰सु॰सा॰एक-51) | NA | NA | 1969 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
26 | 10 | हमारी संस्कृति का स्वरूप | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
27 | 11 | ईश्वर-सम्बन्धी ज्ञान के लिये जाति-पाँति की कोई विशेषता नहीं है (स॰सु॰सा॰एक-53) | NA | NA | 1954 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
28 | 12 | ज्ञान तथा योग; दोनों का संग-संग साधन आवश्यक है (स॰सु॰सा॰एक-54) | NA | NA | 1955 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
29 | 13 | मनुष्य-शरीर अद्भुत है (स॰सु॰सा॰एक-55) | NA | NA | 1966 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
30 | 14 | मानस रोगों को जड़ से नाश करने की युक्ति (स॰सु॰सा॰एक-56) | NA | NA | 56 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
31 | 15 | ईश्वर की मान्यता ही धर्मों में सुमेरु है (स॰सु॰सा॰एक-92) | 10 | 10 | 1954 | रविवार | मुरादाबाद | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
32 | 16 | संशयों को निर्मूल करने के लिये विन्दु-ध्यान और नाद-ध्यान है (स॰सु॰सा॰एक-94) | 11 | 10 | 1954 | सोमवार | मुरादाबाद | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
33 | 17 | ईश्वर-दर्शन (स॰सु॰सा॰एक-197) | NA | NA | 1955 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
34 | 18 | अलौकिक जागरण (स॰सु॰सा॰एक-206) | NA | NA | 1955 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-02 |
35 | 1 | सब कोई सत्संग में आइए | 10 | 5 | 1974 | शुक्रवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
36 | 2 | अंतःकरण को पवित्र रखो (स॰सु॰सा॰एक-119) | 1 | 7 | 1955 | शुक्रवार | भंगहा, कटिहार | प्रातःकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
37 | 3 | ईश्वर प्राप्ति के लिए गुरु-ज्ञान चाहिए | 15 | 1 | 1980 | मंगलवार | काजीचक, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
38 | 4 | ईश्वर से ही मांगो, किसी देव से नहीं (स॰सु॰सा॰एक-190) | 2 | 4 | 1963 | मंगलवार | मनोहर उच्च विद्यालय, सहरसा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
39 | 5 | माया में सुख नहीं | 27 | 10 | 1970 | मंगलवार | थाना बिहपुर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
40 | 6 | यह शरीर भोग-विलास के लिए नहीं (स॰सु॰सा॰एक-239) | 4 | 6 | 1966 | शनिवार | सत्संग-मंदिर मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
41 | 7 | जीवन काल में मुक्ति प्राप्त कीजिए (स॰सु॰सा॰एक-102) | 26 | 2 | 1955 | शनिवार | सत्संग-मंदिर बरईचक, पाटम, मुंगेर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
42 | 8 | शांति अंदर में है | 13 | 10 | 1978 | शुक्रवार | जलंधर पंजाब | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
43 | 9 | भगवान श्रीराम का राज्य किधर है ? (स॰सु॰सा॰एक-81) | 25 | 4 | 1954 | रविवार | तौफिर दियारा, मुंगेर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
44 | 10 | ईश्वर-भजन महाभय से बचाता है (स॰सु॰सा॰एक-147) | 2 | 1 | 1960 | शनिवार | सत्संग-मंदिर, सिकन्दरपुर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
45 | 11 | बात-बात में गुरु की आवश्यकता है | 16 | 11 | 1976 | मंगलवार | फतेहपुर, संताल परगना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
46 | 12 | केवल सुनिये नहीं, कीजिए भी | 20 | 2 | 1983 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
47 | 13 | संतमत सनातन धर्म है (स॰सु॰सा॰एक-243) | 17 | 7 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
48 | 14 | संसार दुःखमय है (स॰सु॰सा॰एक-38) | 22 | 12 | 1952 | सोमवार | पटेगना, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
49 | 15 | मूर्ति में ईश्वर है, मूर्ति ईश्वर नहीं (स॰सु॰सा॰एक-117) | 23 | 6 | 1955 | गुरुवार | सत्संग-मंदिर, तेतराही, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
50 | 16 | संतमत नहीं सिखाता कि गृहस्थी छोड़ दो | 17 | 3 | 1972 | शुक्रवार | नन्दलालपट्टी, बाँका | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
51 | 17 | ईश्वर इन्द्रियों के ज्ञान से बाहर है (स॰सु॰सा॰एक-298) | 6 | 3 | 1969 | गुरुवार | संतमत-सत्संग आश्रम, मनिहारी, कटिहार | NA | NA | 61वाँ वार्षिक सत्संग | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
52 | 18 | भीतर की सफाई ध्यान से होती है | 25 | 11 | 1977 | शुक्रवार | संतमत-सत्संग आश्रम, मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
53 | 19 | निर्विषय की ओर चलो (स॰सु॰सा॰एक-85) | 11 | 5 | 1954 | मंगलवार | नवटोलिया, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
54 | 20 | परमप्रभु परमात्मा एक है (स॰सु॰सा॰एक-115) | 16 | 6 | 1955 | गुरुवार | सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
55 | 21 | ईश्वर की सेवा क्या है (स॰सु॰सा॰एक-300) | 10 | 3 | 1966 | गुरुवार | अठगामा, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
56 | 22 | तुम भी करो तो मालूम होगा (स॰सु॰सा॰एक-301) | NA | NA | 1965 | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
57 | 23 | ईश्वर को प्रणाम कैसे करें | 14 | 11 | 1971 | रविवार | राजेन्द्र नगर, पटना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
58 | 24 | बाहर का रस फीका पड़ जाता है (स॰सु॰सा॰एक-193) | 1 | 10 | 1963 | मंगलवार | सत्संग भवन, इलाहाबाद | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-03 |
59 | 1 | सत्संग करते रहना चाहिए | 24 | 1 | 1982 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
60 | 2 | ईश्वर से मेल ऊँचे दर्जे का सत्संग है (स॰सु॰सा॰एक-273) | 20 | 8 | 1937 | शुक्रवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
61 | 3 | नीचे गिरने की ओर मत जाओ (स॰सु॰सा॰एक-258) | 5 | 2 | 1967 | रविवार | संतमत-सत्संग मंदिर, सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
62 | 4 | भजन वह है, जिससे परमात्मा को पहचान सको (स॰सु॰सा॰एक-256) | 2 | 1 | 1967 | सोमवार | सन्तमत-सत्संग मन्दिर, सिकन्दरपुर भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
63 | 5 | सब धर्मों का सार एक ही है | 3 | 12 | 1978 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
64 | 6 | ईश्वर अवश्य है (स॰सु॰सा॰एक-255) | 1 | 1 | 1967 | रविवार | भवानीपुर राजधम, पूर्णियाँ | अपराह्नकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
65 | 7 | गुरु, ध्यान और सत्संग | 17 | 8 | 1980 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
66 | 8 | सत्संग करते रहिए, मोक्ष नजदीक है | 18 | 3 | 1980 | मंगलवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
67 | 9 | अंतर में आरती करो (स॰सु॰सा॰एक-259) | 17 | 4 | 1960 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | रात्रिकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
68 | 10 | तुम्हारा निज विषय परमात्मा है (स॰सु॰सा॰एक-100) | 18 | 2 | 1955 | शुक्रवार | संतमत-सत्संग मंदिर, जोतराम राय, कटिहार | अपराह्नकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
69 | 11 | ईश्वर का ओर-छोर नहीं है | 12 | 6 | 1978 | सोमवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
70 | 12 | श्रद्धाशील को ज्ञान होता है | 24 | 2 | 1980 | रविवार | कटिहार | NA | NA | 72वाँ अधिवेशन | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
71 | 13 | प्रत्यक्ष-दर्शन अपने अन्दर होगा | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
72 | 14 | ईश्वर की खोज अपने अन्दर करो | 20 | 7 | 1978 | गुरुवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | गुरु-पूर्णिमा | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
73 | 15 | ईश्वर-प्राप्ति का रास्ता एक है (स॰सु॰सा॰एक-215) | 2 | 12 | 1935 | सोमवार | संतमत-सत्संग मंदिर, दुमका | प्रातःकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
74 | 16 | यही दृष्टियोग है | 5 | 3 | 1972 | रविवार | संतमत-सत्संग मन्दिर, जमालपुर (मुंगेर) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
75 | 17 | ईश्वर ही सब धर्मों की जड़ है (स॰सु॰सा॰एक-204) | 3 | 4 | 1964 | शुक्रवार | रौशनहाट, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
76 | 18 | अन्तर के शून्य में खोजना | 24 | 10 | 1981 | शनिवार | मालदा, पं0 बंगाल | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
77 | 19 | घुसक नदी में जाय | 24 | 12 | 1978 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
78 | 20 | तीन अवस्था तजहु भजहु भगवन्त (स॰सु॰सा॰एक-205) | 4 | 4 | 1934 | बुधवार | रोशनाहाट, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
79 | 21 | नैन नगर से रास्ता का आरम्भ (स॰सु॰सा॰एक-329) | 13 | 7 | 1970 | सोमवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
80 | 22 | बिना भजन अभ्यास किये समत्व नहीं (स॰सु॰सा॰एक-305) | 16 | 9 | 1969 | मंगलवार | पटना नगर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
81 | 23 | विन्दु-नाद उपासना | 28 | 4 | 1979 | शनिवार | राँची नगर | रात्रिकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
82 | 24 | शब्द के अतिरिक्त कोई रास्ता नहीं (स॰सु॰सा॰एक-241) | 21 | 6 | 1966 | मंगलवार | सत्संग मंदिर नवाबगंज, मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
83 | 25 | शब्द-साधना से भक्ति का अंत (स॰सु॰सा॰एक-155) | 26 | 3 | 1960 | शनिवार | सन्तमत-सत्संग आश्रम, मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
84 | 26 | निर्गुण रामनाम को जिभ्या नहीं जानती | 23 | 3 | 1975 | रविवार | राजेन्द्रनगर, पटना | रात्रिकाल | NA | NA | सत्संग-सुधा वचनामृत-04 |
85 | 1 | सन्तमत में ईश्वर की स्थिति | 5 | 12 | 1949 | सोमवार | डोभाघाट, पूर्णियाँ | NA | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
86 | 2 | वेद पुराण सन्तमत भाखौं | 24 | 12 | 1950 | रविवार | मोकमा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
87 | 3 | ब्रह्मलोक में भी दुःख है | 24 | 12 | 1950 | रविवार | मोकमा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
88 | 4 | अन्तर में डूबने से चैन | 25 | 12 | 1950 | सोमवार | मोकमा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
89 | 5 | मुक्ति और उसकी साधना | 17 | 1 | 1951 | बुधवार | तारवा, शाहगंज, उत्तरप्रदेश | NA | श्री रामचन्द्रजी अष्ठाना | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
90 | 6 | ईश्वर इन्द्रिय ज्ञान से परे | 18 | 1 | 1951 | गुरुवार | तारवा, शाहगंज, उत्तरप्रदेश | NA | श्री रामचन्द्रजी अष्ठाना | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
91 | 7 | मेरे गुरुजी ने कहा था | 19 | 1 | 1951 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
92 | 8 | स्थूल से सूक्ष्म में प्रवेश का द्वार | 20 | 1 | 1951 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | NA | NA | बाबा देवी साहब की जयन्ती | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
93 | 9 | बाबा साहब के उपदेशों का सार | 21 | 1 | 1951 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | NA | NA | बाबा देवी साहब के निर्वाण दिवस | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
94 | 10 | ध्यान-योग की महिमा | 26 | 1 | 1951 | शुक्रवार | बिहपुर हाई स्कूल, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
95 | 11 | ईश्वर भक्ति से सुख की प्राप्ति | 27 | 1 | 1951 | शनिवार | शाहआलमनगर, मधेपुरा | NA | श्री सीताराम भगत जी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
96 | 12 | सन्तमत के ज्ञान से परम कल्याण | 9 | 2 | 1951 | शुक्रवार | सासाराम | NA | श्री भरत भुआल सिन्हा | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
97 | 13 | बंदीगृह में स्वतंत्रता नहीं | 31 | 3 | 1951 | शनिवार | मंदार पहाड़ पर, बाँका | प्रातःकालीन | श्री कीर्तिनारायण सिंह | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
98 | 14 | घूँघट का पट खोल रे | 31 | 3 | 1951 | शनिवार | मंदार पहाड़ पर, बाँका | रात्रिकालीन | श्री कीर्तिनारायण सिंह | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
99 | 15 | सन्तवाणियों के अनुकूल चलें | 23 | 12 | 1951 | रविवार | धरहरा, पूर्णियाँ | NA | NA | जिला विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
100 | 16 | सुरत का जगना क्या है? | 24 | 12 | 1951 | सोमवार | धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
101 | 17 | मोह निशा में रहना पशुता है | 30 | 4 | 1952 | बुधवार | ढोलबज्जा, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
102 | 18 | नरतन की उपादेयता | 2 | 5 | 1952 | शुक्रवार | धुरियाकलासन, मधेपुरा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
103 | 19 | बँधा हुआ कौन है? | 4 | 5 | 1952 | रविवार | पुरैनीबाजार, मधेपुरा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
104 | 20 | अन्तर्ज्योति की खोज | 11 | 5 | 1952 | रविवार | दयालपुर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
105 | 21 | सन्त साहित्य से परम हित | 1 | 6 | 1952 | रविवार | उच्च माध्यमिक विद्यालय, बनमनखी, पूर्णियाँ | NA | NA | पूर्णियाँ जिला साहित्य-सम्मेलन का 14 वाँ अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
106 | 22 | पाप और पुण्य दोनों बंधन | 8 | 7 | 1952 | मंगलवार | रघुवंशनगर, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
107 | 23 | परम पद से कभी गिरते नहीं | 18 | 7 | 1952 | शुक्रवार | बैकुण्ठपुर दियारा, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
108 | 24 | अन्तर में देखने का यत्न गुरु से सीखो | 18 | 10 | 1952 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
109 | 25 | बहुदेव उपासना ठीक नहीं | 25 | 10 | 1952 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
110 | 26 | मन बिजली से भी सूक्ष्म है | 25 | 10 | 1952 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
111 | 27 | सज्जनों का धर्म क्या है? | 29 | 10 | 1952 | बुधवार | मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | श्री शुकदेव पोद्दार | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
112 | 28 | गागर ऊपर गागरी चोले ऊपर द्वार | 1 | 11 | 1952 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
113 | 29 | पंडितों का वेद सन्तों का भेद | 8 | 11 | 1952 | शनिवार | खापुर, मधेपुरा | प्रातःकालीन | NA | जिला विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
114 | 30 | सन्तों का संग दुर्लभ है | 8 | 11 | 1952 | शनिवार | खापुर, मधेपुरा | अपराह्नकालीन | NA | जिला विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
115 | 31 | सूर संग्राम को देख भागै नहीं | 9 | 11 | 1952 | रविवार | खापुर, मधेपुरा | प्रातःकालीन | NA | जिला विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
116 | 32 | ईश्वर भक्ति की विशेषता | 9 | 11 | 1952 | रविवार | खापुर, मधेपुरा | अपराह्नकालीन | NA | जिला विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
117 | 33 | शरीर छूटने पर क्या गति होगी? | 11 | 11 | 1952 | मंगलवार | देवैल, मधेपुरा | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
118 | 34 | शास्त्रों को मथने से क्या फ़ल? | 16 | 11 | 1952 | रविवार | सिकलीगढ़ धरहरा सत्संग मंदिर, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
119 | 35 | इस जीवन के बाद और क्या होगा? | 18 | 11 | 1952 | मंगलवार | बेलसरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
120 | 36 | अपने शरीर को पार करो | 18 | 11 | 1952 | मंगलवार | बेलसरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
121 | 37 | धर्म से विराग होता है | 9 | 12 | 1952 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर सैदाबाद, अररिया | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
122 | 38 | तन धार सुखिया काहू न देखा | 22 | 12 | 1952 | सोमवार | पटनेगा, अररिया | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
123 | 39 | दृश्य जगत का मूल विन्दु है | 30 | 12 | 1952 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
124 | 40 | सन्तमत का उपदेश | 3 | 1 | 1953 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मुरादाबाद (यू.पी.) | अपराह्नकालीन | NA | बाबा देवी साहब की जयंती | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
125 | 41 | जहाँ रहो सत्संग करो | 13 | 1 | 1953 | मंगलवार | सासाराम, रोहतास | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
126 | 42 | ईश्वर भक्ति की युक्ति | 17 | 1 | 1953 | शनिवार | जवाहर टाउन, गया | NA | श्री गौरीशंकर एवं श्री लक्ष्मीनारायण डालमिया | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
127 | 43 | दृष्टि साधन की महिमा | 20 | 2 | 1953 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
128 | 44 | आत्मा को जानना सच्चा ज्ञान है | 24 | 2 | 1953 | मंगलवार | मानसी, खगड़िया | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
129 | 45 | पिण्ड-ब्रह्माण्ड की खोज | 27 | 2 | 1953 | शुक्रवार | रामगंज सत्संग मंदिर, मुंगेर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
130 | 46 | सूक्ष्म मार्ग का अवलम्ब | 28 | 2 | 1953 | शनिवार | खगड़िया, मुंगेर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
131 | 47 | साधन के अंत तक पहुँचो | 6 | 3 | 1953 | शुक्रवार | तेलो, साहेबगंज | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
132 | 48 | भोजन का प्रभाव मन पर भी पड़ता है | 11 | 3 | 1953 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर कोरका, संथालपरगना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
133 | 49 | ईश्वर तक पहुँचने का रास्ता एक ही है | 12 | 3 | 1953 | गुरुवार | संतमत सत्संग मन्दिर, आशानन्दपुर परवत्ती, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
134 | 50 | गोद में बालक नगर में ढिंढोरा | 21 | 3 | 1953 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर, मनिहारी | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
135 | 51 | आध्यात्मिकता की ओर चलिए | 28 | 3 | 1953 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर, मधुबनी, पूणियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
136 | 52 | मनुष्य अपने स्वरूप को जाने | 3 | 4 | 1953 | शुक्रवार | तुलापट्टी, सहरसा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
137 | 53 | शरीर के सुखों में लिप्त होना दानवी स्वभाव है | 4 | 4 | 1953 | शनिवार | संतमत-सत्संग मंदिर अमरदह, मोरंग (नेपाल) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
138 | 54 | भौतिक विद्या भी आवश्यक | 4 | 4 | 1953 | शनिवार | सिजुआ, मोरंग (नेपाल) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
139 | 55 | मनुष्य-शरीर में सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड है | 8 | 4 | 1953 | बुधवार | संतमत-सत्संग मंदिर झुरकिया, मोरंग (नेपाल) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
140 | 56 | मानस रोगों से मुक्ति | 16 | 4 | 1953 | गुरुवार | संतमत-सत्संग मंदिर डाइनियाँ, मोरंग (नेपाल) | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
141 | 57 | चिट्ठी आधी मुलाकात होती है | 8 | 5 | 1953 | शुक्रवार | टीकापट्टी, पूर्णियाँ | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
142 | 58 | एक दिन सबको जाना होगा | 23 | 12 | 1953 | बुधवार | बोकनतरी, पूर्णियाँ | साप्ताहिक | श्री रूपलाल यादवजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
143 | 59 | सहज रूप सुमिरण करै | 23 | 2 | 1954 | मंगलवार | कोरका, संथालपरगना | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
144 | 60 | राम भगति जहँ सुर सरि धारा | 26 | 2 | 1954 | शुक्रवार | गोड्डा | प्रातःकालीन | श्री रामनन्दन प्रसाद वर्मा (एग्रिकल्चर इंजिनियरिंग इंसपेक्टर) | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
145 | 61 | विद्या अच्छी तरह पढ़ो और नम्रता से रहो | 26 | 2 | 1954 | शुक्रवार | गोड्डा | अपराह्नकालीन | श्री रामनन्दन प्रसाद वर्मा (एग्रिकल्चर इंजिनियरिंग इंसपेक्टर) | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
146 | 62 | परमातम गुरु निकट विराजैं | 27 | 2 | 1954 | शनिवार | मिरजानहाट, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
147 | 63 | अमृत को नेत्रें से पान करो | 28 | 2 | 1954 | रविवार | मिरजानहाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
148 | 64 | घर माहैं घर निर्मल राखै | 28 | 2 | 1954 | रविवार | मिरजानहाट, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
149 | 65 | भगवान का दर्शन और यह दुर्दशा! | 4 | 3 | 1954 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
150 | 66 | चित्तवृत्ति का निरोध करना योग है | 12 | 3 | 1954 | शुक्रवार | राजावासा, मोरंग (नेपाल) | NA | स्व0 तेजुदासजी का परिवार | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
151 | 67 | जीवनकाल में विदेह मुक्ति | 16 | 3 | 1954 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
152 | 68 | नैतिकता पूर्वक उपार्जन करो | 31 | 3 | 1954 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
153 | 69 | कोशिश करो तो ईश्वर मदद करेंगे | 11 | 4 | 1954 | रविवार | पुनामा, भागलपुर | अपराह्नकालीन | श्री रामकृष्ण सिंहजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
154 | 70 | बिना प्रेम की सेवा ऊपरी भाव है | 12 | 4 | 1954 | सोमवार | पुनामा, भागलपुर | प्रातःकालीन | श्री रामकृष्ण सिंहजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
155 | 71 | तन काम में मन राम में | 12 | 4 | 1954 | सोमवार | पुनामा, भागलपुर | अपराह्नकालीन | श्री रामकृष्ण सिंहजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
156 | 72 | त्रयकाल संध्या करनी चाहिए | 15 | 4 | 1954 | गुरुवार | मिरजानहाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | श्री तिलक मोदीजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
157 | 73 | नाद से बढ़कर कोई मंत्र नहीं | 16 | 4 | 1954 | शुक्रवार | मिरजानहाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | श्री तिलक मोदीजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
158 | 74 | धन यौवन का गर्व न कीजै | 17 | 4 | 1954 | शनिवार | जमालपुर, मुंगेर | रात्रिकालीन | श्री रायबहादुर श्रीदुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
159 | 75 | उत्तम संस्कृति | 18 | 4 | 1954 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | रात्रिकालीन | श्री रायबहादुर श्रीदुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
160 | 76 | पाप और पारे को कोई हजम नहीं कर सकता | 18 | 4 | 1954 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | रात्रिकालीन | श्री रायबहादुर श्रीदुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
161 | 77 | अबके माधव मोहि उधारि | 19 | 4 | 1954 | सोमवार | जमालपुर, मुंगेर | प्रातःकालीन | श्री रायबहादुर श्रीदुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
162 | 78 | विन्दु ज्योतिर्मय शालिग्राम है | 22 | 4 | 1954 | गुरुवार | उच्च विद्यालय, सूर्यगढ़ा, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
163 | 79 | ज्ञान-योग-युक्त ईश्वर-भक्ति | 24 | 4 | 1954 | शनिवार | तौफिर दियारा, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
164 | 80 | मेरा यहाँ कुछ नहीं है, सभी मेरे मालिक के हैं | 25 | 4 | 1954 | रविवार | तौफिर दियारा, मुंगेर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
165 | 81 | बिना शब्द के सृष्टि नहीं हो सकती | 25 | 4 | 1954 | रविवार | तौफिर दियारा, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
166 | 82 | पाँच किस्म की मुक्ति | 1 | 5 | 1954 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
167 | 83 | मौत को कौन नहीं जानता है? | 9 | 5 | 1954 | रविवार | शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र टीकापट्टी, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
168 | 84 | हमारी इन्द्रियाँ बिल्कुल स्थूल हैं | 9 | 5 | 1954 | रविवार | शिक्षक प्रशिक्षण केन्द्र टीकापट्टी, पूर्णियाँ | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
169 | 85 | अजर-अमर शब्द को कैसे जपोगे? | 11 | 5 | 1954 | मंगलवार | नवटोलिया, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
170 | 86 | मन जीवात्मा में इतना मिलाप, जैसे दूधा में घी | 18 | 5 | 1954 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर, सैदाबाद, अररिया | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
171 | 87 | ईश्वर को मानिए, उसमें विश्वास कीजिए | 25 | 5 | 1954 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर, सैदाबाद, अररिया | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
172 | 88 | मछली की देह अधिाक पवित्र है या तुम्हारी देह? | 28 | 5 | 1954 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर पलासी, अररिया | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
173 | 89 | संसार में पनडुब्बी चिड़िया की तरह रहो | 6 | 6 | 1954 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
174 | 90 | यह तो घर है प्रेम का, खाला का घर नाहिं | 17 | 7 | 1954 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
175 | 91 | स्तुति, प्रार्थना और उपासना | 26 | 8 | 1954 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
176 | 92 | संगत ही जरि जाय, न चरचा नाम की | 10 | 10 | 1954 | रविवार | मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
177 | 93 | समस्त प्रकृति मंडल को जानिए | 10 | 10 | 1954 | रविवार | मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
178 | 94 | तिल परिमाण जान जन कोई | 11 | 10 | 1954 | सोमवार | मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
179 | 95 | जो कोई निर्गुण दर्शन पावै | 11 | 10 | 1954 | सोमवार | मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
180 | 96 | भगवान श्रीकृष्ण स्वयं संध्या करते थे | 14 | 10 | 1954 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर मुरादाबाद | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
181 | 97 | एहि तें मैं हरि ज्ञान गँवायो | 18 | 10 | 1954 | सोमवार | संतमत सत्संग मंदिर डेहरी ऑन सोन, रोहतास | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
182 | 98 | सिमटी दृष्टि से देखो | 31 | 10 | 1954 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर फुलवड़िया, मुंगेर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
183 | 99 | भया जी हरि रस पी मतवारा | 15 | 2 | 1955 | मंगलवार | भंगहा, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
184 | 100 | निज काम क्या है? | 18 | 2 | 1955 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर जोतरामराय, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
185 | 101 | सुमिरण से क्या होता है? | 19 | 2 | 1955 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
186 | 102 | गृहस्थाश्रम में रहकर स्वल्पभोगी | 26 | 2 | 1955 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर बरईचक पाटम, मुंगेर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
187 | 103 | वार्य हिंसा को छोड़ो | 27 | 2 | 1955 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | NA | श्री रायबहादुर, श्री दुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
188 | 104 | नारदजी को वैकुण्ठ में मोह | 2 | 3 | 1955 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर एकचारी, भागलपुर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
189 | 105 | केवल विद्वता से संतवाणी नहीं समझ सकते | 3 | 3 | 1955 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर एकचारी, भागलपुर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
190 | 106 | ईश्वर के पास क्यों जाना चाहिए? | 12 | 3 | 1955 | शनिवार | कहलगाँव का धर्मशाला, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
191 | 107 | कायारूप कपड़ों को धो डालो | 12 | 3 | 1955 | शनिवार | कहलगाँव का धर्मशाला, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
192 | 108 | काम करते हुए भजन करो | 18 | 3 | 1955 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर, सिकन्दरपुर, भागलपुर | NA | रविदास सत्संगीगण | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
193 | 109 | अन्तर्मुख होना सबसे बड़ा परुषार्थ है | 27 | 3 | 1955 | रविवार | मिरजानहाट, भागलपुर | NA | श्री आनंदीलाल साह | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
194 | 110 | ईश्वर को जानने के लिए सत्संग है | 9 | 4 | 1955 | शनिवार | सोनैली, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
195 | 111 | संसार में खीरा की तरह रहो | 29 | 5 | 1955 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर रामगंज, खगड़िया | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
196 | 112 | एक को जानने से शान्ति मिलेगी | 6 | 6 | 1955 | सोमवार | मानसी, खगड़िया | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
197 | 113 | नवधा भक्ति का उपदेश | 6 | 6 | 1955 | सोमवार | मानसी, खगड़िया | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
198 | 114 | भगवान श्रीराम का प्रजा को उपदेश | 13 | 6 | 1955 | सोमवार | सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | NA | बाबू गिरो भगतजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
199 | 115 | परमात्मा के लिए ईश्वर शब्द का प्रयोग | 16 | 6 | 1955 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
200 | 116 | भिक्षु जीवन का प्रत्यक्ष फ़ल | 19 | 6 | 1955 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
201 | 117 | पहले मस्तिष्क ही पुस्तक थी | 23 | 6 | 1955 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर तेतराही, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
202 | 118 | विषयों का उपभोग किस रूप में ? | 28 | 6 | 1955 | मंगलवार | महर्षि मेँहीँनगर, कुशहा तेलियारी, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
203 | 119 | अन्तःकरण की शुद्धि | 1 | 7 | 1955 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर भंगहा, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
204 | 120 | श्रीकृष्ण का आह्वान | 14 | 7 | 1955 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
205 | 121 | चेतन के दो रूप | 30 | 7 | 1955 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
206 | 122 | तुलाधार वैश्य की तपस्या | 4 | 8 | 1955 | गुरुवार | मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला, साहेबगंज | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
207 | 123 | सुषुम्ना ही प्रधान तीर्थ है | 5 | 8 | 1955 | शुक्रवार | मारवाड़ी पंचायती धर्मशाला, साहेबगंज | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
208 | 124 | बिना ध्यान के समाधि नहीं | 13 | 8 | 1955 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
209 | 125 | श्रीमद्भगवद्गीता में ध्यानयोग | 18 | 9 | 1955 | रविवार | दुर्गास्थान, मोहद्दीनगर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
210 | 126 | भारतीय योगविद्या का चमत्कार | 25 | 11 | 1955 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
211 | 127 | प्राप्तव्य क्या है? | 25 | 11 | 1955 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
212 | 128 | साम्यावस्थाधारिणी मूल-प्रकृति | 26 | 11 | 1955 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
213 | 129 | पारमार्थिक सत्ता की विशेषता | 27 | 11 | 1955 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
214 | 130 | गुरु गोविन्द सिंह की महानत्ता | 26 | 12 | 1955 | सोमवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
215 | 131 | संस्कृति का आरम्भ माता के पेट से | 1 | 10 | 1956 | सोमवार | राजनारायण महाविद्यालय, हाजीपुर, वैशाली | प्रातःकालीन | NA | उद्घाटन भाषण | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
216 | 132 | दो विद्याएँ शब्द ब्रह्म और परब्रह्म | 1 | 10 | 1956 | सोमवार | राजनारायण महाविद्यालय, हाजीपुर, वैशाली | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
217 | 133 | चेतन की धारा ब्रह्माण्ड से पिण्ड की ओर | 22 | 12 | 1957 | रविवार | मारवाड़ी पाठशाला, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
218 | 134 | साधन में विघ्न | 9 | 2 | 1958 | रविवार | ढोढ़री, संथालपरगना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
219 | 135 | भौतिक चीजों से आत्मा को भिन्न करो | 9 | 2 | 1958 | रविवार | ढोढ़री, संथालपरगना | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 50वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
220 | 136 | सबको ऊँ कहने का अधिाकार | 10 | 2 | 1958 | सोमवार | ढोढ़री, संथालपरगना | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 50वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
221 | 137 | शून्य में क्या मिलेगा? | 25 | 10 | 1958 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर आशानन्दपुर परबत्ती, भागलपुर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
222 | 138 | संत लोग पच्छिम तरफ़ रहते हैं | 26 | 10 | 1958 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर आशानन्दपुर परबत्ती, भागलपुर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
223 | 139 | राजा कुरु का स्वाबलम्बी जीवन | 1 | 3 | 1959 | रविवार | छपरा नगर | NA | अखिल भारतीय संतमत | 51 वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
224 | 140 | मनुष्य की खोपड़ी कभी भरती है? | 11 | 3 | 1959 | बुधवार | लगमा, समस्तीपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
225 | 141 | युद्ध भी करो और स्मरण भी | 21 | 4 | 1959 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर बरईचक पाटम, मुंगेर | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
226 | 142 | श्री दुर्गा देवीजी का सर्वोत्कृष्ट स्वरूप | 21 | 4 | 1959 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर बरईचक पाटम, मुंगेर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
227 | 143 | मोटा और महीन ध्यान | 14 | 5 | 1959 | गुरुवार | महेशलिट्टी, संथालपरगना | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
228 | 144 | अनैतिकता से छूटने का उपाय | 27 | 6 | 1959 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
229 | 145 | सावित्री के सतीत्त्व की महिमा | 17 | 7 | 1959 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मन्दिर मचहा, सुपौल | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
230 | 146 | सोये हुए को जगाने की आवश्यकता | 18 | 7 | 1959 | शनिवार | संतमत सत्संग मन्दिर मचहा, सुपौल | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
231 | 147 | आगे के जीवन का प्रबंध | 2 | 1 | 1960 | शनिवार | सिकन्दरपुर, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
232 | 148 | विद्या ददाति विनयम् | 5 | 3 | 1960 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
233 | 149 | सब ससीमों के परे क्या है? | 5 | 3 | 1960 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
234 | 150 | सफ़ूी सन्त और कबीर साहब का मिलन | 6 | 3 | 1960 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
235 | 151 | कर्म-धर्म से छूटने का उपाय | 6 | 3 | 1960 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 52वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
236 | 152 | सगुण ब्रह्म की प्रत्यक्षता होने पर भी दुःख | 7 | 3 | 1960 | सोमवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 52वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
237 | 153 | जीवों का उपकार | 7 | 3 | 1960 | सोमवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | रात्रिकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 52वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
238 | 154 | नासाग्र ध्यान क्या है? | 22 | 3 | 1960 | मंगलवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
239 | 155 | भक्ति का आरम्भ कहाँ से? | 26 | 3 | 1960 | शनिवार | सन्तमत-सत्संग आश्रम, मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
240 | 156 | हमलोगों को पूरा मनुष्य होना चाहिए | 10 | 4 | 1960 | रविवार | बड़हरा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | प्रथम वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
241 | 157 | योग का रहस्य | 15 | 4 | 1960 | शुक्रवार | मुंगेर टाऊन हॉल | प्रातःकालीन | NA | द्वितीय वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
242 | 158 | सविकल्प-निर्विकल्प समाधिा | 17 | 4 | 1960 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | प्रातःकालीन | श्री रायबहादुर, श्री दुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
243 | 159 | श्रीराम की आरती | 17 | 4 | 1960 | रविवार | जमालपुर, मुंगेर | रात्रिकालीन | श्री रायबहादुर, श्री दुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
244 | 160 | मनुष्य और पशु में अन्तर | 18 | 4 | 1960 | सोमवार | जमालपुर, मुंगेर | अपराह्नकालीन | श्री रायबहादुर, श्री दुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
245 | 161 | सब रूपों में एक ही ईश्वर | 24 | 4 | 1960 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर परवत्ती, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
246 | 162 | सन्तों के दिशा का सांकेतिक शब्द | 17 | 8 | 1960 | बुधवार | दुर्गास्थान, मोहद्दीनगर, भागलपुर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
247 | 163 | योगी किसे कहते हैं? | 2 | 9 | 1960 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर बरईचक पाटम, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
248 | 164 | सिंह का बच्चा भेंड़-बकरियों के साथ | 4 | 1 | 1961 | बुधवार | टाउन हॉल, छपरा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
249 | 165 | राजविद्या राजगुह्य का तात्पर्य | 7 | 2 | 1961 | मंगलवार | डेहरी ऑन सोन, रोहतास | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
250 | 166 | अध्यात्म विज्ञान का प्रयोगशाला | 16 | 2 | 1961 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | NA | NA | मास ध्यान साधना | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
251 | 167 | तीन प्रकार के कर्म | 25 | 3 | 1961 | शनिवार | सरकण्डा, गोड्डा, संथालपरगना | NA | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
252 | 168 | देश में शान्ति कैसे आएगी? | 19 | 10 | 1961 | गुरुवार | मिर्जापुर, कटिहार | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
253 | 169 | सन्तमत और अनामी मत | 27 | 1 | 1962 | शनिवार | बिहारीगंज, मधेपुरा | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
254 | 170 | द्रव्ययज्ञ से ज्ञानयज्ञ श्रेष्ठ | 27 | 1 | 1962 | शनिवार | बिहारीगंज, मधेपुरा | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
255 | 171 | विकारों ने सतयुग को भी नहीं छोड़ा | 31 | 1 | 1962 | बुधवार | महर्षि मेँहीँनगर, कुशहा तेलियारी, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | उच्च प्राथमिक विद्यालय | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
256 | 172 | धनुष विद्या की परीक्षा | 8 | 2 | 1962 | गुरुवार | डेहरी ऑन सोन, रोहतास | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
257 | 173 | सभी देव ईश्वर के बनाए हुए हैं | 1 | 4 | 1962 | रविवार | साहिबगंज, छपरा | प्रातःकालीन | श्रीबद्रीनाथ सिन्हा | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
258 | 174 | राम कैसा है? | 2 | 4 | 1962 | सोमवार | लखनऊ, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | श्रीमान् गंगाचरणलाल महोदय | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
259 | 175 | ईश्वर सबका आधार | 7 | 4 | 1962 | शनिवार | संतमत सत्संग आश्रम, कानूनगोयान मुहल्ला, मुरादाबाद | अपराह्नकालीन | NA | परम श्रद्धेय बाबा देवी साहब के स्मृति दिवस | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
260 | 176 | तपस्वी को नश्वरता का ज्ञान | 10 | 4 | 1962 | मंगलवार | मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | बाबू श्रीकान्ति प्रसादजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
261 | 177 | राम का प्रबल प्रताप : सूर्य | 13 | 4 | 1962 | शुक्रवार | बदायूँ, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
262 | 178 | ब्रह्म सत्यं जगन्मिथ्या | 16 | 4 | 1962 | सोमवार | थ्योसोफिकल सोसाइटी, छपरा, सारण | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
263 | 179 | परोक्ष और अपरोक्ष ज्ञान | 19 | 4 | 1962 | गुरुवार | मारवाड़ी पाठशाला (जूतापट्टी), मुजफ्फरपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
264 | 180 | नशा सेवन से मष्तिष्क खराब | 16 | 5 | 1962 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर सिजुआ, मोरंग, नेपाल | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
265 | 181 | पूर्ण धर्म | 16 | 5 | 1962 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर कनखुदिया, अररिया, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
266 | 182 | सरल राजयोग | 30 | 5 | 1962 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर खोखसी श्याम, मधेपुरा | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
267 | 183 | सबसे पहले का पदार्थ कैसा है? | 5 | 8 | 1962 | रविवार | सुजागंज स्थित सिक्ख गुरुद्वारा, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
268 | 184 | दिव्य जीवन क्या है? | 8 | 9 | 1962 | शनिवार | नवयुग विद्यालय, भागलपुर | NA | NA | स्वामी श्रीशिवानन्द सरस्वती की जयंती | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
269 | 185 | दैत्य गुरु शुक्राचार्य की युक्ति | 9 | 9 | 1962 | रविवार | सुलतानगंज, भागलपुर | अपराह्नकालीन | श्रीलक्ष्मीना0 रामुका | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
270 | 186 | संसार में पाँच ही पदार्थ है | 1 | 10 | 1962 | सोमवार | लुकरगंज, महिला सत्संग, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
271 | 187 | माया का फ़ैलाव ब्रह्माण्ड तक | 12 | 1 | 1963 | शनिवार | जमनी पहाड़पुर, संथालपरगना | NA | NA | जिला वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
272 | 188 | स्वराज्य में सुराज | 3 | 3 | 1963 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर कनखुदिया, अररिया, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
273 | 189 | सगुण-निर्गुण की महिमा | 30 | 3 | 1963 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर मधुबनी, पूर्णियाँ | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
274 | 190 | धर्म की परिभाषा | 2 | 4 | 1963 | मंगलवार | मनोहर उच्च विद्यालय, सहरसा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
275 | 191 | एक ऊँ सतनाम | 1 | 5 | 1963 | बुधवार | संतमत सत्संग मंदिर नवादा नगर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
276 | 192 | अनेक ब्रह्मा, विष्णु और शिव | 30 | 9 | 1963 | सोमवार | सिविल लाईन स्थित सत्संग भवन, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
277 | 193 | पिण्डी मन की धारों को समेटो | 1 | 10 | 1963 | मंगलवार | सिविल लाईन स्थित सत्संग भवन, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
278 | 194 | भाठा से सीरा चलो | 1 | 10 | 1963 | मंगलवार | सिविल लाईन स्थित सत्संग भवन, इलाहाबाद, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
279 | 195 | चेतन आत्मा को शरीर का बंधन | 3 | 10 | 1963 | गुरुवार | संतमत सत्संग आश्रम, कानूनगोयान मुहल्ला, मुरादाबाद | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
280 | 196 | मनोलय कैसे होगा? | 7 | 10 | 1963 | सोमवार | पूलिया मुहल्ला, मुरादाबाद, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | लाला कान्ति प्रसादजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
281 | 197 | प्रकृति: देशकाल का उपादान कारण | 10 | 10 | 1963 | गुरुवार | बदायूँ, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
282 | 198 | सभी धर्मों को छोड़ने का रहस्य | 13 | 10 | 1963 | रविवार | गीता भवन, मथुरा, उत्तर प्रदेश | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
283 | 199 | आप का निज विषय क्या है? | 17 | 10 | 1963 | गुरुवार | स्वामी रामतीर्थ मिशन, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
284 | 200 | जीव किसको कहते है? | 21 | 10 | 1963 | सोमवार | अशोकनगर, आगरा, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
285 | 201 | नभ शत कोटि अमित अवकाशा | 25 | 10 | 1963 | शुक्रवार | रिसालदार पार्क, बुद्ध विहार, लखनऊ, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
286 | 202 | सृष्टि को स्वबस में कौन रखता है? | 31 | 10 | 1963 | गुरुवार | इंगलिश हाई स्कूल मशरख, सारण | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
287 | 203 | कल्याण किधर है? | 1 | 11 | 1963 | शुक्रवार | इंगलिश हाई स्कूल मशरख, सारण | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
288 | 204 | अनेकत्व के कारण संसार में झगड़ा | 3 | 4 | 1964 | शुक्रवार | रोशनाहाट, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
289 | 205 | साधना में आलस बड़ा दुश्मन है | 4 | 4 | 1964 | शनिवार | रोशनाहाट, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
290 | 206 | मौत सबके सिर पर है | 21 | 4 | 1964 | मंगलवार | राष्ट्रीय शहीद विन्देश्वरी पुस्तकालय, पहाड़पुर, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
291 | 207 | चमत्कार के फ़ेर में नहीं पड़िए | 25 | 4 | 1964 | शनिवार | संतमत सत्संग मंदिर घोरघट, मुंगेर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
292 | 208 | सन्तों की वाणियों को पढ़ो, यह भी सत्संग है | 20 | 3 | 1965 | शनिवार | तिनटेंगा, भागलपुर | NA | NA | जिला वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
293 | 209 | गुरु कैसा होना चाहिए? | 12 | 4 | 1965 | सोमवार | संतमत सत्संग आश्रम, कानूनगोयान मुहल्ला, मुरादाबाद | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
294 | 210 | बाहर संसार में भाग कर कहाँ जाओगे? | 21 | 4 | 1965 | बुधवार | कांग्रेस आश्रम, तेघड़ा, बेगुसराय, मुंगेर | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
295 | 211 | ईश्वर की महिमा | 23 | 4 | 1965 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मंदिर बारो, बेगुसराय, मुंगेर | NA | NA | 50वें वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
296 | 212 | ध्यानाभ्यास में लौ लगने से तरक्की | 5 | 9 | 1965 | रविवार | मिनिस्ट्रियल आफिसर्स रेस्ट हाउस राजगीर, पटना | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
297 | 213 | भगवान बुद्ध की साधना: ज्योति और शब्द | 7 | 9 | 1965 | मंगलवार | पालि इंस्टिच्युट नव विहार नालन्दा, नालन्दा | NA | भिक्षु जगदीश काश्यपजी महाराज | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
298 | 214 | सन्तमत का शब्द विज्ञान | 26 | 10 | 1965 | मंगलवार | संतमत सत्संग मन्दिर, विषहा (विश्वनाथ कुटी), संथालपरगना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
299 | 215 | सन्तमत-सत्संग: केवल सत्संग में अन्तर | 2 | 12 | 1965 | गुरुवार | संतमत सत्संग मंदिर, दुमका, संथालपरगना | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
300 | 216 | जन्म लेना और मरना: संसार का धर्म | 19 | 12 | 1965 | रविवार | कटिहार | NA | स्व0 मोती दासजी का परिवार | श्राद्ध क्रिया | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
301 | 217 | कल्याण केवल शब्द ध्यान से | 19 | 12 | 1965 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर, कटिहार | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
302 | 218 | योग के आरम्भ का नाश नहीं होता | 25 | 12 | 1965 | शनिवार | रूपौली, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
303 | 219 | आपका निज ज्ञान क्या है? | 25 | 12 | 1965 | शनिवार | रूपौली, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
304 | 220 | सोचना और समझना दार्शनिक ज्ञान है | 26 | 12 | 1965 | रविवार | रूपौली, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
305 | 221 | योगी देवता के पद से भी आगे जाते हैं | 26 | 12 | 1965 | रविवार | रूपौली, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
306 | 222 | सन्तवाणी में नाम-भजन वेदानुकूल है | 27 | 12 | 1965 | सोमवार | रूपौली, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
307 | 223 | मन से स्वतंत्र कैसे होंगे? | 27 | 12 | 1965 | सोमवार | रूपौली, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
308 | 224 | आपने नई उम्र में क्यों साधु वेश लिया? | 22 | 2 | 1966 | मंगलवार | संतमत सत्संग मन्दिर दुर्गापुर, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
309 | 225 | सन्तमत किसको कहते हैं? | 10 | 4 | 1966 | रविवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
310 | 226 | अन्धी श्रद्धा से कुछ ग्रहण और त्याग मत करो | 10 | 4 | 1966 | रविवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
311 | 227 | दर्शन पाने के लिए बहुत दूर जाना है | 11 | 4 | 1966 | सोमवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
312 | 228 | यह सत्संग तीर्थ राज है | 11 | 4 | 1966 | सोमवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
313 | 229 | सन्तमत निर्भर करता है-साधना अनुभूत ज्ञान पर | 12 | 4 | 1966 | मंगलवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
314 | 230 | बाहर फि़रत विकल भय धायो | 12 | 4 | 1966 | मंगलवार | गंगातट, महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
315 | 231 | मन में बहुत प्रकार के संस्कार भरे पड़े हैं | 24 | 4 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
316 | 232 | ईश्वरीय ज्ञान का महत्त्व | 5 | 5 | 1966 | गुरुवार | संतमत सत्संग मन्दिर मोहनियाँ, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
317 | 233 | निर्गुण राम के दर्शन से मोक्ष | 6 | 5 | 1966 | शुक्रवार | संतमत सत्संग मन्दिर भटगामा, अररिया | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
318 | 234 | अपने को शुभ गति में ले जाने का उपाय | 8 | 5 | 1966 | रविवार | खजुरी, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
319 | 235 | अपवर्ग किसे कहते है? | 8 | 5 | 1966 | रविवार | खजुरी, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
320 | 236 | भजन करनेवाला कभी नीचे नहीं गिरेगा | 21 | 5 | 1966 | शनिवार | संतमत सत्संग मन्दिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
321 | 237 | साधना में धैर्य और प्रेम | 23 | 5 | 1966 | सोमवार | संतमत सत्संग मन्दिर मनिहारी, कटिहार | प्रातःकालीन | NA | श्रीमती झूलन दाय की स्मृति | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
322 | 238 | संतों के प्रभाव से उद्धार | 28 | 5 | 1966 | शनिवार | संतमत सत्संग मन्दिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
323 | 239 | शरीर-रूपी खेत में सत्संग-रूपी फ़सल लगाते रहें | 4 | 6 | 1966 | शनिवार | संतमत सत्संग मन्दिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
324 | 240 | सेवाहीन होने से रंगने के स्थान में भी नहीं रंगोगे | 18 | 6 | 1966 | शनिवार | संतमत सत्संग मन्दिर मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
325 | 241 | बहिर्मुख सुख में दुख लगा हुआ है | 21 | 6 | 1966 | मंगलवार | नवाबगंज, मनिहारी, कटिहार | NA | NA | सत्संग मन्दिर का उद्घाटन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
326 | 242 | सदाचार का पालन ही चमत्कार है | 26 | 6 | 1966 | रविवार | वीरपुर, सहरसा | प्रातःकालीन | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
327 | 243 | नाम-भजन की साधना प्रधान है | 17 | 7 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
328 | 244 | साधना आरम्भ में अन्तर की अनुभूतियों में सुख | 24 | 7 | 1966 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
329 | 245 | मस्तिष्क को ताजा बनाने के लिए सत्संग | 28 | 10 | 1966 | शुक्रवार | राजगीर, नालन्दा | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
330 | 246 | शरीर में नौ द्वार हैं | 28 | 10 | 1966 | शुक्रवार | राजगीर, नालन्दा | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
331 | 247 | पढ़ने के लिए प्रतिज्ञा | 29 | 10 | 1966 | शनिवार | राजगीर, नालन्दा | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
332 | 248 | सृष्टि के आरम्भ में क्या है? | 29 | 10 | 1966 | शनिवार | राजगीर, नालन्दा | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
333 | 249 | नीच योनियों में जाना महाभय है | 30 | 10 | 1966 | रविवार | राजगीर, नालन्दा | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
334 | 250 | दमशीलता कैसे आवेगी? | 30 | 10 | 1966 | रविवार | राजगीर, नालन्दा | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 58वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
335 | 251 | मन तुरन्त ही समेट में नहीं आता | 14 | 11 | 1966 | सोमवार | जमालपुर, मुंगेर | प्रातःकालीन | श्री रायबहादुर, श्री दुर्गादासजी तुलसी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
336 | 252 | मूल में ही भूल | 2 | 12 | 1966 | शुक्रवार | नवाबगंज, पूर्णियाँ | NA | डॉ0 नित्यानन्द सिंह | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
337 | 253 | सत्यनिष्ठ ही ईश्वर की उपासना में अग्रसर हो सकता है | 26 | 12 | 1966 | सोमवार | सत्संग भवन भवानीपुर, राजधाम, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
338 | 254 | इन्द्रिय-ग्राह्य पदार्थ को माया कहते हैं | 26 | 12 | 1966 | सोमवार | सत्संग भवन भवानीपुर, राजधाम, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
339 | 255 | जहाँ सत्यता वहाँ दुर्गुण नहीं | 1 | 1 | 1967 | रविवार | सत्संग भवन भवानीपुर, राजधाम, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
340 | 256 | शरीर छोड़ने के बाद क्या हालत होगी? | 2 | 1 | 1967 | सोमवार | संतमत सत्संग मन्दिर सिकन्दरपुर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
341 | 257 | ईश्वर की सर्वश्रेष्ठ विभूति: ज्योति और शब्द | 8 | 1 | 1967 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
342 | 258 | भक्ति बीज का उल्टा परिणाम नहीं होता | 5 | 2 | 1967 | रविवार | संतमत सत्संग मंदिर सिकलीगढ़ धरहरा, पूर्णियाँ | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
343 | 259 | दो प्रकार के स्वार्थ | 16 | 2 | 1967 | गुरुवार | संतमत सत्संग मन्दिर, विषहा, गोड्डा, संथालपरगना | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
344 | 260 | जवानी में अच्छी तरह भजन करो | 2 | 4 | 1967 | रविवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
345 | 261 | हर का नासा, सबकी आशा | 2 | 4 | 1967 | रविवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
346 | 262 | मिथ्या धारणा को दूर करें | 3 | 4 | 1967 | सोमवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
347 | 263 | मन की सम्हाल भक्ति में परम आवश्यक है | 3 | 4 | 1967 | सोमवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
348 | 264 | नगद सौदा | 4 | 4 | 1967 | मंगलवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
349 | 265 | अन्तर्नाद क्या है? | 4 | 4 | 1967 | मंगलवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
350 | 266 | शहरग का रास्ता कौन बतावेगा? | 4 | 4 | 1967 | मंगलवार | तरयासुजान, देवरिया, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ वार्षिक महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
351 | 267 | मन का स्वरूप क्या है? | 19 | 4 | 1967 | बुधवार | रेलवे कम्पाउण्ड, मानसी, खगड़िया | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
352 | 268 | कृतज्ञता से मुक्त होने के लिए-स्तुति करें | 23 | 4 | 1967 | रविवार | खाब्दह डुमरिया, पूर्णियाँ | NA | NA | जिला वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
353 | 269 | शिवजी का भी रूप बदलता है | 11 | 6 | 1967 | रविवार | संतमत सत्संग मन्दिर, मनिहारी, कटिहार | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
354 | 270 | सम्पूर्ण संसार का शासन कर्त्ता कौन है? | 24 | 6 | 1967 | शनिवार | सुपौल, सहरसा | NA | NA | जिला वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
355 | 271 | गौ-माता का पालन अच्छी तरह करो | 18 | 7 | 1967 | मंगलवार | सोनबरसा, सहरसा | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
356 | 272 | चित्त वृत्ति का पूर्ण निरोध विन्दु ध्यान में | 23 | 7 | 1967 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
357 | 273 | प्रकाश मंडल भी मायिक है | 20 | 8 | 1967 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
358 | 274 | रूप का आरम्भ कहाँ से होता है? | 27 | 8 | 1967 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
359 | 275 | बाहर में सन्तपथ नहीं है, अन्दर में है | 3 | 9 | 1967 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | साप्ताहिक | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
360 | 276 | स्वर्ग में भी पाँच प्रकार के विषय हैं | 1 | 12 | 1967 | शुक्रवार | आजमपुर गोला, पूर्णियाँ | NA | श्री विश्वनाथ चौधरी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
361 | 277 | सेवा का महत्व | 24 | 12 | 1967 | रविवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
362 | 278 | माया का आक्रमण | 24 | 12 | 1967 | रविवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
363 | 279 | निर्गुण पा लेने का ज्ञान | 25 | 12 | 1967 | सोमवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
364 | 280 | लोग रूप उपासना को ईश्वर उपासना मानते हैं | 25 | 12 | 1967 | सोमवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
365 | 281 | सन्तमत की विलक्षण बात | 26 | 12 | 1967 | मंगलवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
366 | 282 | सगुण उपासना के बाद ही निर्गुण तत्त्व की प्राप्ति | 26 | 12 | 1967 | मंगलवार | कुरसेला, कटिहार, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 59वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
367 | 283 | ऋषि-ऋण, पितृ-ऋण और देव-ऋण से मुक्ति | 13 | 1 | 1968 | शनिवार | नवाबगंज, कटिहार, पूर्णियाँ | NA | बाबू श्रीकान्त सिंहजी | श्राद्धक्रिया | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
368 | 284 | सुख पाने का साधन: ईश्वर भक्ति | 7 | 3 | 1968 | गुरुवार | मक्खाचक (बखरी), बेगुसराय | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
369 | 285 | जड़ माया की पट्टी खोलने के लिए दृष्टियोग | 8 | 3 | 1968 | शुक्रवार | मक्खाचक (बखरी), बेगुसराय | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
370 | 286 | ईश्वर तक जाने का रास्ता कहाँ है? | 8 | 3 | 1968 | शुक्रवार | मक्खाचक (बखरी), बेगुसराय | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
371 | 287 | सभी धर्मों के लोगों के लिए उपासना | 9 | 3 | 1968 | शनिवार | मक्खाचक (बखरी), बेगुसराय | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
372 | 288 | आपस में मेल नहीं रहने से नाश | 23 | 3 | 1968 | शनिवार | सधुवैली, पूर्णियाँ | NA | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
373 | 289 | ईश्वर के मूल स्वरूप का दर्शन नाद ध्यान से | 24 | 3 | 1968 | रविवार | सधुवैली, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
374 | 290 | ईश्वर समुद्र हैं और सज्जन बादल | 8 | 6 | 1968 | शनिवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
375 | 291 | किस विधि से इन्द्रियों का संग छूटेगा? | 8 | 6 | 1968 | शनिवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
376 | 292 | पवित्र भूमि से पवित्रता की प्रेरणा | 9 | 6 | 1968 | रविवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
377 | 293 | स्वप्न से छूटे, इसके लिए कोई यत्न है? | 9 | 6 | 1968 | रविवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
378 | 294 | परमात्मा की तेजोमयी विभूतियाँ | 10 | 6 | 1968 | सोमवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
379 | 295 | कमाकर खाओ नहीं तो खून खराब हो जाएगा | 10 | 6 | 1968 | सोमवार | हरिद्वार, उत्तरप्रदेश | रात्रिकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 60वाँ विशेषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
380 | 296 | निर्गुण ब्रह्म की महिमा | 16 | 12 | 1968 | सोमवार | जमालपुर, मुंगेर | NA | मानस समिति | उद्घाटन भाषण | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
381 | 297 | उन्नीस सौ दस ईस्वी में सत्संग का रूप | 9 | 3 | 1969 | रविवार | अठगामा, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
382 | 298 | भक्ति रूपा माता का सुख निराला है | 9 | 3 | 1969 | रविवार | अठगामा, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
383 | 299 | साकार और निराकार उपासना में भेद | 10 | 3 | 1969 | सोमवार | अठगामा, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
384 | 300 | गुरु से ज्ञान लेना उनका शिष्य होना है | 10 | 3 | 1969 | सोमवार | अठगामा, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
385 | 301 | सहस्रदल कमल में जाने पर देवताओं का दर्शन | 11 | 3 | 1969 | मंगलवार | अठगामा, भागलपुर | प्रातःकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
386 | 302 | सगुण दर्शन से अष्टसिद्धि की प्राप्ति | 11 | 3 | 1969 | मंगलवार | अठगामा, भागलपुर | अपराह्नकालीन | अखिल भारतीय संतमत | 61वाँ वार्षिक अधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
387 | 303 | मैत्रेयी और मुनि याज्ञवल्क्य का वैराग्य | 8 | 4 | 1969 | मंगलवार | संतमत सत्संग मंदिर बरईचक पाटम, मुंगेर | NA | साधु श्रीभुजंगी दासजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
388 | 304 | जीवात्मा को कर्मानुसार स्थान मिलता है | 15 | 8 | 1969 | शुक्रवार | मोहद्दीनगर, भागलपुर | NA | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
389 | 305 | लोग दुःख को सह लेते हैं, लेकिन सुख को नहीं | 16 | 9 | 1969 | मंगलवार | पटना | NA | डॉ0 नन्दलाल मोदी महोदयजी | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
390 | 306 | हरि कूँ भूले जो फि़रै सहजो जीवन छार | 17 | 11 | 1969 | सोमवार | सुलतानगंज, भागलपुर | NA | श्री अनन्तराम रामशरण रामुकाजी | जिला विशोषाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
391 | 307 | गुरमति लोग बज्र कपाट खोलते हैं | 21 | 11 | 1969 | शुक्रवार | हर मन्दिर, पटना | NA | NA | गुरु नानक जन्म शताब्दी | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
392 | 308 | मनुष्य-शरीर मांस-रक्त का पिंजरा | 2 | 1 | 1970 | शुक्रवार | रानीगंज थाना, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | वार्षिक सत्संग | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
393 | 309 | सगुण-रूप के दर्शन से मुनियों के मन में भ्रम | 2 | 1 | 1970 | शुक्रवार | रानीगंज थाना, पूर्णियाँ | अपराह्नकालीन | NA | वार्षिक सत्संग | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
394 | 310 | जहाँ आपस में प्रेम रहता है, वहाँ सुबुद्धि रहती है | 9 | 1 | 1970 | शुक्रवार | करमाटाँड़, संथालपरगना | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
395 | 311 | सुख के लिए भटको नहीं: अन्दर चलो | 1 | 3 | 1970 | रविवार | दिल्ली | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
396 | 312 | जड़ आवरणों को हटाने पर ईश्वर-दर्शन | 1 | 3 | 1970 | रविवार | दिल्ली | रात्रिकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
397 | 313 | चौथी अवस्था में जाने का यत्न | 2 | 3 | 1970 | सोमवार | दिल्ली | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
398 | 314 | अध्यात्म और सदाचार में मेल | 2 | 3 | 1970 | सोमवार | दिल्ली | रात्रिकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
399 | 315 | आत्मवत् सर्वभूतेषू कैसे होगा? | 3 | 3 | 1970 | मंगलवार | दिल्ली | प्रातःकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
400 | 316 | मानस जप से मानस बल बढ़ता है | 3 | 3 | 1970 | मंगलवार | दिल्ली | रात्रिकाल | अखिल भारतीय संतमत | 62वें महाधिवेशन | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
401 | 317 | ज्ञानियों ने ईश्वर की स्थिति को माना है | 19 | 3 | 1970 | गुरुवार | महेशलिट्टी, गोड्डा | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
402 | 318 | सुरत लगाने का यत्न जानो | 29 | 3 | 1970 | रविवार | रामगढ़, दुमका | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
403 | 319 | भगवान का दर्शन भी हुआ और सन्देह भी रहा! | 29 | 3 | 1971 | सोमवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
404 | 320 | परमात्मा की दो प्रकृतियाँ | 5 | 4 | 1970 | रविवार | महर्षि मेँहीँ आश्रम, कुप्पाघाट, भागलपुर | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
405 | 321 | आनन्द और मंगल की जड़: सत्संग | 8 | 4 | 1970 | बुधवार | पैर, बाँका | अपराह्नकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
406 | 322 | सन्तवाणी संतों की प्रतिमूर्ति है | 11 | 4 | 1970 | शनिवार | समेली, कटिहार | रात्रिकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |
407 | 323 | सामूहिक स्तुति अवश्य करो | 13 | 4 | 1970 | सोमवार | गैदूहा, पूर्णियाँ | प्रातःकालीन | NA | NA | सत्संग-सुधा-सागर-1 |