अमृतवाणी
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संतमत साहित्य संग्रह
विषय-सूची
सत्संग-सुधा
[महर्षि मेँहीँ-वचनामृत]
विषय-सूची
02-07. अपने गुरु की याद में ()
02-10. हमारी संस्कृति का स्वरूप ()
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03-01. सब कोई सत्संग में आइए (10.05.1974)
03-03. ईश्वर-प्राप्ति के लिए गुरु-ज्ञान चाहिए (15.01.1980)
03-05. माया में सुख नहीं (27.10.1970)
03-08. शांति अंदर में है (13.10.1978)
03-11. बात-बात में गुरु की आवश्यकता है (16.11.1976)
03-12. केवल सुनिये नहीं, कीजिए भी (20.02.1983)
03-16. संतमत नहीं सिखाता कि गृहस्थी छोड़ दो (17.03.1972)
03-18. भीतर की सफाई ध्यान से होती है (25.11.1977)
03-23. ईश्वर को प्रणाम कैसे करें (14.11.1971)
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04-01. सत्संग करते रहना चाहिए (24.01.1982)
04-05. सब धर्मों का सार एक ही है (03.12.1978)
04-07. गुरु, ध्यान और सत्संग (17.08.1980)
04-08. सत्संग करते रहिए, मोक्ष नजदीक है (18.03.1980)
04-11. ईश्वर का ओर-छोर नहीं है (12.06.1978)
04-12. श्रद्धाशील को ज्ञान होता है (24.02.1980)
04-13. प्रत्यक्ष-दर्शन अपने अन्दर होगा
04-14. ईश्वर की खोज अपने अंदर करो (20.07.1978)
04-16. यही दृष्टियोग है (05.03.1972)
04-18. अन्तर के शून्य में खोजना (24.10.1981)
04-19. घुसक नदी में जाय (24.12.1978)
04-21. नैन नगर से रास्ता का आरंभ (13.07.1970)
04-23. विन्दु-नाद उपासना (28.04.1979)
04-26. निर्गुण रामनाम को जिम्या नहीं जानती (23.031975)
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जय गुरु महाराज!