07. सद्गुरु के पत्र

महर्षिजी के सद्गुरु बाबा देवी साहब के द्वारा लिखे गए महर्षिजी नाम के पत्रों का अविकल-मुद्रण 

क्रमदिनांकस्थान
01१५-११-१९१३ मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
02२२-०३-१९१५ मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
03२२-०३-१९१५मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
04०६-०५-१९१५मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
05१७-०८-१९१५मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
06१३-१०-१९१५मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
07२६-११-१९१५मुरादाबाद, मोहल्ला अताई

ॐ श्री सद्गुरवे नमः

01.

१५-११-१९१३ 

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक १५-११-१९१३ ईस्वी

महाशय, 
चिट्ठी आपकी आई - खैरयत मिलने से खुशी हुई जबतक संतमत को नहीं जान सकते हो तरक्की नहीं हो सकती है, एक नहीं दस गुरू और बना लो - नन्दन बन्दगी करता है।
चरणसेवक
देवी







02.

२२-०३-१९१५ 

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक २२- 0३-१९१५ ईस्वी
महाशय,
चिट्ठी आई आपके लिए हम डन्डोत करते हैं - और आपसे ज्यादह संतमत में कोई आदमी नहीं हो सकता। और तन-मन-धन से गुरू की खिदमत करना चाहिए। और आप यहाँ कबतक आवेंगे? नन्दन की डन्डोत ।
चरणसेवक
देवी 

03.

२२-०३-१९१५

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक 0६-0५-१९१५ ईस्वी
महाशय,
चिट्ठी आई-पुस्तक भेजी जाती है असली बात यह है कि तन-मन-धन से जो शख्स गुरु की सेवा नहीं करेगा किसी मजहब में कामयाब नहीं हो सकता है वैसे चाहे जितनी किताबें पढ़ा-नन्दन हाथ जोड़कर बन्दगी करता है, महाराजा साहिब कश्मीर ने हमको बुलाया है सो अभी हमारा इरादह जाने का नहीं है -
देवी

04.

०६-०५-१९१५

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक १७-0८-१९१५ ईस्वी
महाशय,
चिट्ठी आपकी आई-खैरयत मिलने से खुशी हुई- जयादह बहतर है कि माह के महीने तक अभ्यास और सत्संग और उपदेश खूब दिल से करो- नन्दन हाथ जोड़कर बन्दगी करता है -
चरणसेवक
देवी

05.

१७-०८-१९१५

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक १३-१०-१९१५ ईस्वी
महाशय,
चाहै आपको खाना मिलै या न मिलै लेकिन आपकी बराबर मजहब में कोई नहीं हो सकता - नन्दन बन्दगी करता है।
चरणसेवक
देवी

06.

१३-१०-१९१५

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक २६-११-१९१५ ईस्वी
महाशय,
हम आपकी बहतरी के लिए दुआ करते हैं – जिस कदर जल्द मुमकिन हो आइये- अगर वहां आराम न हो तो यहाँ इलाज हो सकता है- नन्दन हाथ जोड़कर बन्दगी करता है।
चरणसेवक
देवी

07.

२६-११-१९१५

मुरादाबाद, मोहल्ला अताई
दिनांक २७-0२-१९१६ ईस्वी
महाशय,
चिट्ठी आई- आपने जम्मू और अपने सफर का कुछ हाल नहीं लिखा- अब हमारा भी आजकल में जम्मू जाने का इरादा है- और अपने पैसे से खाना खायेंगे- भीक माँगकर खाने का हमारा काम नहीं है - नन्दन बन्दगी करता है ।
देवी 

सद्गुरु महर्षि मेंहीं परमहंस जी  

संपर्क

महर्षि मेंहीं आश्रम

कुप्पाघाट , भागलपुर - ३ ( बिहार ) 812003

mcs.fkk@gmail.com

जय गुरु!

जय गुरु!

सद्गुरु तथ्य 

01. जन्म-तिथि : विक्रमी संवत् १९४२ के वैसाख शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तदनुसार 28 अप्रैल, सन् 1885 ई. (मंगलवार)
02. निर्वाण=8 जून, सन 1986 ई. (रविवार)

श्री सद्गुरु महाराज की जय!