श्री रामचरितमानस का दार्शनिक सिद्धांत
(श्रीमत्परमहंस परिव्राजकाचार्य स्वामीजी श्रीएकरसानन्दजी सरस्वती) 

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(मानसांक, खण्ड 2)

पृ0 932-श्रीशंकराचार्य और श्रीतुलसीदासजी के सिद्धांत एक हैं ।
पृ0 974-(लेखक-साहित्यरंजन पं0 श्रीविजयानन्दजी त्रिपाठी)
-- पृ0 976-श्रीरामचरितमानस भक्ति-प्रधान ग्रन्थ होते हुए भी अध्यात्मरामायण की भाँति अद्वैतवाद का ग्रन्थ है ।
कल्याण, साधनांक (पृ0 600)
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