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(पृ0 454 से उद्धृत)
ईसा से छः सौ वर्ष पूर्व पाइथागोरस (Pythagoras) नामक ईटली-निवासी ग्रीक महात्मा हो गए हैं। इनका जीवन अत्यंत रहस्यपूर्ण है और इनके विषय में अनेकानेक अपूर्व किंवदन्तियाँ प्रचलित हैं । इनकी अलौकिक शक्तियों के भी आश्चर्यजनक विवरण मिलते हैं । जन्मान्तरवाद इनका मूल सिद्धांत था । नाद-ब्रह्म का इनको इतना अच्छा अभ्यास था कि इन्हें सृष्टि-मण्डल की गति का संगीत (Music of the sphares) अर्थात् प्रणव धवनि निरन्तर सुनाई पड़ती थी ।
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