संत यारी साहिब 

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।। झूलना ।।
(2)
दोउ मूँदि के नैन अन्दर देखा, नहिं चाँद सुरज दिन राति है रे ।
रोसन1 समा बिनु तेल बाती, उस जोति सों सबै सिफाति2 है रे ।।
गोता मारि देखो आदम, कोउ अवर नाहिं सँग साथि है रे ।
यारी कहै तहकीक3 किया, तू मलकुलमौत4 की जाति है रे ।।

(1) प्रकाश। (2) गुण । (3) ठीक-ठीक खोज । (4) यम ।

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।। कवित्त ।। (2)
गहने के गढ़े तें कहीं सोना भी जातु है ।
सोनो बीच गहनो और गहनो बिच सोन है ।।
भीतर भी सोनो और बाहर भी सोन दीसै ।
सोनो तो अचल अंत गहनो को मीच5 है ।।
सोन को तो जानि लीजै गहनो बरबाद कीजै ।
यारी एक सोनो ता में ऊँच कवन नीच है ।।

(5) मृत्यु ।

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