develop your own website

18. सन्तप्रवर रैदासजी की वाणी

*********************
।। मूल पद्य ।।

राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ? फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ।।टेक।।
थन तर दूध सो बछरू जुठारो, पुष्प भँवर जल मीन बिगारो ।
चन्दन तरु बेधियो भुजंगा, विष अमृत दोऊ इक संगा ।।
मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊँ सहज सरूप ।
पूजा अरचा न जानूँ तेरी, कह रैदास कौन गति मेरी ।।

*********************  
।। संतप्रवर रैदासजी की वाणी समाप्त ।।
*********************  

*********************
।। मूल पद्य ।।

राम मैं पूजा कहा चढ़ाऊँ? फल अरु फूल अनूप न पाऊँ ।।टेक।।
थन तर दूध सो बछरू जुठारो, पुष्प भँवर जल मीन बिगारो ।
चन्दन तरु बेधियो भुजंगा, विष अमृत दोऊ इक संगा ।।
मन ही पूजा मन ही धूप, मन ही सेऊँ सहज सरूप ।
पूजा अरचा न जानूँ तेरी, कह रैदास कौन गति मेरी ।।

अर्थ-हे राम! मैं आपकी पूजा में क्या अर्पण करूँ? अर्थात् आपके पूजार्थ समर्पण करनेयोग्य कोई वस्तु है ही नहीं; क्योंकि फल और फूल, किसी को भी मैं अनुपम नहीं पाता।। (यदि मैं आपको दुग्ध, पुष्प वा जल चढ़ाना चाहूँ तो) बछड़े ने अपनी माता के स्तन में ही दूध को जूठा कर दिया है, भँवर ने फूल को और मछली ने जल को बिगाड़ डाला है। (यदि मैं आपको चन्दन-लेप करना चाहूँ तो) सर्प ने (अपने विष से उस) चन्दन-वृक्ष को भी बेध डाला है, जिससे विष और अमृत, दोनों मिलकर एकीभूत हो गये हैं (फिर आपकी अर्चना करूँ कैसे?)।।
अतएव मैं आपकी मानस पूजा करता हूँ; मन से ही आपको धूप देता हूँ और मन से ही सहज स्वरूप का सेवन भी करता हूँ। मैं आपके (अन्य प्रकार के) पूजन वा अर्चन को नहीं जानता। सन्त रविदासजी कहते हैं कि (हे प्रभु! अब) मेरी क्या गति होगी (आप ही जानें)।।
*********************
।। संतप्रवर रैदासजी की वाणी समाप्त ।।
*********************  

परिचय

Mobirise gives you the freedom to develop as many websites as you like given the fact that it is a desktop app.

Publish your website to a local drive, FTP or host on Amazon S3, Google Cloud, Github Pages. Don't be a hostage to just one platform or service provider.

Just drop the blocks into the page, edit content inline and publish - no technical skills required.