।। मूल पद्य ।।
वारी जाऊँ मैं सद्गुरु के, मेरा किया भरम सब दूर ।। टेक।।
चन्द चढ़ा कुल आलम देखै, मैं देखूँ भ्रम दूर ।। 1 ।।
हुआ प्रकास आस गइ दूजी, उगिया निर्मल नूर ।। 2 ।।
माया मोह तिमिर सब नासा, पाया हाल हजूर ।। 3 ।।
विषय-विकार लार है जेता, जारि किया सब धूर ।। 4 ।।
पिया पियाला सुधि बुधि बिसरी, हो गया चकनाचूर ।। 5 ।।
हुआ अमर मरे नहिं कबहूँ, पाया जीवन मूर ।। 6 ।।
बन्धन कटा छुटिया जम से, किया दरस मंजूर ।। 7 ।।
ममता गई भई उर समता, दुख सुख डारा दूर ।। 8 ।।
समझे बने कहे नहिं आवे, भयो आनन्द भरपूर ।। 9 ।।
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, बजिया निरमल तूर ।। 10।।
।। मूल पद्य ।।
वारी जाऊँ मैं सद्गुरु के, मेरा किया भरम सब दूर ।। टेक।।
चन्द चढ़ा कुल आलम देखै, मैं देखूँ भ्रम दूर ।। 1 ।।
हुआ प्रकास आस गइ दूजी, उगिया निर्मल नूर ।। 2 ।।
माया मोह तिमिर सब नासा, पाया हाल हजूर ।। 3 ।।
विषय-विकार लार है जेता, जारि किया सब धूर ।। 4 ।।
पिया पियाला सुधि बुधि बिसरी, हो गया चकनाचूर ।। 5 ।।
हुआ अमर मरे नहिं कबहूँ, पाया जीवन मूर ।। 6 ।।
बन्धन कटा छुटिया जम से, किया दरस मंजूर ।। 7 ।।
ममता गई भई उर समता, दुख सुख डारा दूर ।। 8 ।।
समझे बने कहे नहिं आवे, भयो आनन्द भरपूर ।। 9 ।।
कहै कबीर सुनो भाइ साधो, बजिया निरमल तूर ।। 10।।
पद्यार्थ-मैं सद्गुरु पर अपने को न्योछावर करता हूँ, मेरे सब भ्रमों को उन्होंने दूर किया।।टेक।। मैंने चन्द्रमण्डल अर्थात् सहस्त्रदलकमल में आरोहण किया, सारा ब्रह्माण्ड दरसने लगा और मेरा भ्रम दूर हो गया।।1।। ब्रह्मतेज का उदय हो गया। दूसरी सब आशाएँ चली गईं अर्थात् मिट गईं और पवित्र तेज का उदय हुआ।।2।। माया, मोह और अंधकार; सभी नष्ट हो गये। प्रत्यक्ष परमात्मा को वर्त्तमान काल में पा लिया।।3।। विषय के जितने विकार साथ में थे, सभी को जलाकर धूल कर दिया।।4।। मैंने प्रेम का प्याला पिया, मेरी सांसारिक सुधि-बुधि जाती रही, प्रेम-मद में मैं चकनाचूर हो गया।।5।। मैं (मर्त्य संसार से छूटकर) अमर हो गया। अब कभी नहीं मरूँगा; मैंने संजीवनी बूटी पायी।।6।। भव-बंध कट गया, यम से छुटकारा हो गया, परमात्मा ने मुझे दर्शन देने को मंजूर कर लिया।।7।। सांसारिक ममता चली गयी, हृदय में समता प्राप्त हुई और संसार-सम्बन्धी सब दुःख दूर हो गये।।8।। पूर्ण आनन्द प्राप्त हुआ, जो समझने में बनता है, कहने में नहीं आता है।।9।। कबीर साहब कहते हैं कि हे साधु भाई। अनाहत नाद की पवित्र तुरही बजने लगी।।10।।
परिचय
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