how to make your own website

(04) . संत कबीर साहब की वाणी
[57. सब्द सब्द बहु अन्तरा,

सार सब्द चित देय ]


।। मूल पद्य, साखी ।।

सब्द सब्द बहु अन्तरा, सार सब्द चित देय ।
जा सब्दै साहब मिलै, सोइ सब्द गहि लेय ।।
सब्द सब्द सब कोइ कहै, वो तो सब्द विदेह ।
जिभ्या पर आवै नहीं, निरखि परखि करि देह ।।
सब्द हमारा आदि का, पल पल करिये याद ।
अन्त फलैगी माहिं की, बाहर की सब बाद ।।
सबद खोजि मन बस करै, सहज योग है येहि ।
सत्त सब्द निज सार है, यह तो झूठी देहि ।।
सब्द हमारा हम सब्द के, सब्द ब्रह्म का कूप ।
जो चाहै दीदार को, परख सब्द का रूप ।।
सब्द बिना स्त्रुति आँधरी, कहो कहाँ को जाय ।
द्वार न पावै सब्द का, फिरि फिरि भटका खाय ।।
यही बड़ाई सब्द की, जैसे चुम्बक भाय ।
बिना सब्द नहिं ऊबरै, केता करै उपाय ।।
ज्ञान दीप परकास करि, भीतर भवन जराय ।
तहाँ सुमरि सतनाम को, सहज समाधि लगाय ।।


।। मूल पद्य, साखी ।।

सब्द सब्द बहु अन्तरा, सार सब्द चित देय ।
जा सब्दै साहब मिलै, सोइ सब्द गहि लेय ।।
सब्द सब्द सब कोइ कहै, वो तो सब्द विदेह ।
जिभ्या पर आवै नहीं, निरखि परखि करि देह ।।
सब्द हमारा आदि का, पल पल करिये याद ।
अन्त फलैगी माहिं की, बाहर की सब बाद ।।
सबद खोजि मन बस करै, सहज योग है येहि ।
सत्त सब्द निज सार है, यह तो झूठी देहि ।।
सब्द हमारा हम सब्द के, सब्द ब्रह्म का कूप ।
जो चाहै दीदार को, परख सब्द का रूप ।।
सब्द बिना स्त्रुति आँधरी, कहो कहाँ को जाय ।
द्वार न पावै सब्द का, फिरि फिरि भटका खाय ।।
यही बड़ाई सब्द की, जैसे चुम्बक भाय ।
बिना सब्द नहिं ऊबरै, केता करै उपाय ।।
ज्ञान दीप परकास करि, भीतर भवन जराय ।
तहाँ सुमरि सतनाम को, सहज समाधि लगाय ।।

पद्यार्थ-शब्दों में बहुत भिन्नता है। सारशब्द में चित्त को-सुरत को लगाओ, जिस शब्द से प्रभु परमात्मा मिलते हैं, उसी शब्द को पकड़ लो।। सब लोग शब्द-शब्द कहते हैं अर्थात् शब्द का गुण-वर्णन करते हैं। वह (सार) शब्द तो देह-विहीन का है अर्थात् जिससे यह शब्द प्रकट होता है तथा जो इसको ग्रहण करता है, दोनों ही (परमात्मा और चेतन आत्मा) देह-विहीन हैं। यह शब्द जिह्वा पर नहीं आता अर्थात् वह अबोल वाणी है। इसे देह में देखकर परख लो।। हमारा (सार) शब्द (अर्थात् जिस सारशब्द का हम वर्णन करते हैं) आदि का है अर्थात् सृष्टि के आदि (आरम्भ) का है, इसका पल-पल स्मरण करो। बाहर के सब शब्दों को छोड़कर अन्त में अन्तर के शब्द में ही (परम प्रभु सर्वेश्वर की प्राप्ति-रूप) फल फलेगा।। सहज, सीधा सरल योगाभ्यास यह है कि शब्द की खोज करके-नादानुसंधान का अभ्यास करके-सुरत-शब्द-योग-अभ्यास करके-ध्वन्यात्मक नाम-भजन करके-प्राणमय शब्द का ध्यानाभ्यास करके मन को वश करो। सत्यशब्द आत्मा की सारध्वनि है और यह शरीर तो नाशवान है।। शब्द हमारा (सार सम्पत्ति) है, हम शब्द के (उपासक) हैं। शब्द ब्रह्म का कूप है (अर्थात् शब्द-उपासना से ब्रह्म की प्राप्ति होती है)। जो ब्रह्म के दर्शन चाहे, वह शब्द-रूप को परखे, नादानुसंधान करे।। शब्द के बिना सुरत अंधी है, कहो वह कहाँ जाएगी? जो शब्द का द्वार नहीं पावे, वह बारम्बार भटकता रहेगा।। शब्द की यही बड़ाई है, जैसे चुम्बक के स्वभाव की है। बिना शब्द (उपासना) के उद्धार नहीं होगा, चाहे और उपाय कितने कर लो।। शरीर-मन्दिर के भीतर ज्ञान-दीप-ब्रह्मतेज को जलाकर वहाँ सहज समाधि लगाकर सत्नाम का भजन करो।।

टिप्पणी-किसी वस्तु का निर्माण कम्प के बिना नहीं होगा और कम्प अपनी सहचर सहज ध्वनि के सहित अवश्य होगा। अतएव सृष्टि-उत्पत्ति के आदि में ध्वनि अवश्य है, वही आदिशब्द है तथा उसीको सारशब्द कहते हैं। इसका उद्गम-स्थान स्वयं पुरुषोत्तम परम पुरुष परमात्मा हैं। इस हेतु शब्द के मूल में परम पुरुष विराजमान हैं; जैसे कुएँ के मूल में जल रहता है। जल-मूलवाला कुआँ-जल का कूप, किरासन तेल-मूल का कुँआ-तेल का कूप और ब्रह्म या परम पुरुष-मूल का कुआँ-ब्रह्म का कूप कहा जाता है। आदिशब्द के मूल में कथित ब्रह्म है, इसलिए वह शब्द ब्रह्म का कूप कहलाता है। यह शब्द इन्द्रिय-ज्ञान-द्वारा परख में आनेयोग्य नहीं है। यह केवल चैतन्यात्मा-जड़- विहीन पवित्र सुरत की ही परख में आनेयोग्य है। साधन-द्वारा शरीर के सब जड़ आवरणों को पार करके उसके अन्तस्तल में उपर्युक्त शब्द को चेतन आत्मा परख सकती है। शरीर के भीतर प्रवेश करने का सुगम-से-सुगम साधन विन्दु ध्यान है, जो दृष्टियोग से निरख या देखकर किया जाता है। इसलिए सारशब्द परखने को-‘निरखि परखि करि देह’ का आदेश दिया गया है। विन्दु-ध्यान में ब्रह्मज्योति प्रकट होती है। इसीको ज्ञान-दीप कहते हैं।  

परिचय

Mobirise gives you the freedom to develop as many websites as you like given the fact that it is a desktop app.

Publish your website to a local drive, FTP or host on Amazon S3, Google Cloud, Github Pages. Don't be a hostage to just one platform or service provider.

Just drop the blocks into the page, edit content inline and publish - no technical skills required.