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(04) . संत कबीर साहब की वाणी
[51. घर में घर दिखलाय दे]


।। मूल पद्य, साखी ।।

घर में घर दिखलाय दे, सो सतगुरु संत सुजान ।
पंच सब्द धुनकार धुन, बाजै गगन निसान ।।



।। मूल पद्य, साखी ।।

घर में घर दिखलाय दे, सो सतगुरु संत सुजान ।
पंच सब्द धुनकार धुन, बाजै गगन निसान ।।

पद्यार्थ-जो घर में घर दिखला दें, वे सुजान संत सद्गुरु हैं। (वहाँ घर के अन्दर घर में) पाँच ध्वन्यात्मक ध्वनियों के आकाशी नगाड़े बजते हैं।

टिप्पणी-स्थूल, सूक्ष्म, कारण, महाकारण और कैवल्य-ये पाँच शरीर वा घर हैं। स्थूल के अन्दर सूक्ष्म, सूक्ष्म के अन्दर कारण, कारण के अन्दर महाकारण और महाकारण के अन्दर कैवल्य; इस प्रकार घर के अन्दर घर है। इनमें से प्रत्येक में के एक-एक नाद को ‘पंच नाद’ वा पंच शब्द कहते हैं। इन पंच ध्वन्यात्मक नादों को ही गगन-निशान वा आसमानी नगाड़े कहते हैं।  

परिचय

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