।। मूल पद्य, निरख प्रबोध की रमैणी ।।
अस सतगुरु बोले सतबानी । धन धन सत्तनाम जिन जानी ।।
नाम प्रतीति भई सब संता । एक जानि के मिटे अनन्ता ।।
अनन्त नाम जब एक समाना । तब ही साध परम पद जाना ।।
बिरला संत परम गति जानै । एक अनन्त सो कहा बखानै ।।
सब तें न्यारा सब के माहीं । माँझी सतगुरु दूजा नाहीं ।।
सत्त नाम जाके धन होई । धन जीवन ताही को सोई ।।
सत्त नाम है सब तें न्यारा । निर्गुन सर्गुन सबद पसारा ।।
निर्गुन बीज सर्गुन फल फूला । साखा ज्ञान नाम है मूला ।।
मूल गहे ते सब सुख पावै । डाल पात में मूल गँवावै ।।
सतगुरु कही नाम पहिचानी । निर्गुन सर्गुन भेद बखानी ।।
अंस नाम तें फिरि फिरि आवै । पूरन नाम परम पद पावै ।।
।। मूल पद्य, निरख प्रबोध की रमैणी ।।
अस सतगुरु बोले सतबानी । धन धन सत्तनाम जिन जानी ।।
नाम प्रतीति भई सब संता । एक जानि के मिटे अनन्ता ।।
अनन्त नाम जब एक समाना । तब ही साध परम पद जाना ।।
बिरला संत परम गति जानै । एक अनन्त सो कहा बखानै ।।
सब तें न्यारा सब के माहीं । माँझी सतगुरु दूजा नाहीं ।।
सत्त नाम जाके धन होई । धन जीवन ताही को सोई ।।
सत्त नाम है सब तें न्यारा । निर्गुन सर्गुन सबद पसारा ।।
निर्गुन बीज सर्गुन फल फूला । साखा ज्ञान नाम है मूला ।।
मूल गहे ते सब सुख पावै । डाल पात में मूल गँवावै ।।
सतगुरु कही नाम पहिचानी । निर्गुन सर्गुन भेद बखानी ।।
अंस नाम तें फिरि फिरि आवै । पूरन नाम परम पद पावै ।।
शब्दार्थ-धन=धन्य। अनन्त=असंख्य। अंशनाम=प्रणव-ध्वनि या सारशब्द के अतिरिक्त नादानुसंधान (सुरत-शब्द-योग) में प्रकट होनेवाले दूसरे सब शब्द। पूरन नाम=प्रणव ध्वनि, सारशब्द। सत्त नाम= सत्यनाम, सारशब्द, प्रणव ध्वनि। कहा=क्या। मांझी=मल्लाह, कर्णधार। सर्गुन=सगुण।
पद्यार्थ-सद्गुरु ने इस प्रकार सत्वचन कहा-‘जिन्होंने सत्य नाम जाना है, वे धन्य हैं! वे धन्य हैं!’ सब संतों को सत्यनाम का विश्वास हुआ। एक सत्यनाम (सत्तनाम) को जानने से अनेक नाम या शब्द मिट जाते हैं। जब अनेक नाम वा शब्द एक सत्यनाम में समा जाते हैं वा लीन हो जाते हैं, तभी साधन करनेवाले परम पद या मोक्ष को जानते हैं। बिरले संत परम गति (मोक्ष) को जानते हैं, वे एक (शब्द) और असंख्य (शब्द) का वर्णन क्या करें? (क्योंकि परम गति या परम मोक्ष के जाननेवाले शब्दातीत पद को जानते हैं।) (सत्यनाम) सबसे भिन्न है और सबमें है। सद्गुरु माँझी-कर्णधार हैं (अर्थात् सुरत को सत्यनाम की ओर ले चलनेवाले हैं।) और दूसरे (ऐसे कोई) नहीं हैं। जिसका सत्यनाम (रूपी) धन है, उसके लिए वही जीवन-धन है। सत्यनाम सबसे भिन्न है। गुण-रहित और गुण-सहित, सब शब्द के पसार हैं। निर्गुण बीज है और सगुण फल-फूल हैं। शाखा ज्ञान है और नाम मूल या जड़ है। मूल पकड़ने से सब सुख पाते हैं और डाल-पात (के पकड़ने) में मूल को गँवाते हैं। सद्गुरु ने नाम की पहचान कही है और निर्गुण तथा सगुण के भेद का वर्णन किया है। अंश-नाम के साधन के ही अभ्यास में रह जाने से पुनः पुनः संसार में आते हैं और पूरण नाम (पूर्ण नाम) सत्यनाम या प्रणव-ध्वनि के साधन-अभ्यास से परम पद अर्थात् मोक्ष को पाते हैं।
परिचय
Mobirise gives you the freedom to develop as many websites as you like given the fact that it is a desktop app.
Publish your website to a local drive, FTP or host on Amazon S3, Google Cloud, Github Pages. Don't be a hostage to just one platform or service provider.
Just drop the blocks into the page, edit content inline and publish - no technical skills required.